24 फरवरी माघ पूर्णिमा कथा – pradeep mishra ke upay
श्री शिवाय नमस्तुभ्यं स्त्रियों को अखंड सौभाग्य के लिए जो नारी वैधव्य नहीं होना चाहती है उस नारी को पूर्णिमा के कितने व्रत करना चाहिए जिस नारी के य संतान नहीं हो औलाद नहीं हो उसको पूर्णिमा कितने व्रत करना चाहिए जिस नारी का पुत्र पति बहुत बीमारी से ग्रसित हो लग रहा हो कि यह मेरा बेटा बहुत बड़ी बीमारी में घिरा हुआ है तो नारी को कितने व्रत करना चाहिए स्वयं भगवान कृष्ण ने माता यशोदा को द्वापर में भी बताया है
कि पूर्णिमा के 32 व्रत होते हैं कितने व्रत होते हैं 32 स्वयं भगवान कृष्ण यशोदा रानी को माता यशोदा जी को भी बता रहे 32 अब आपको किसी ने बता दिया होगा कि आठ कर लो सात कर लो छ: कर लो 12 कर लो इसलिए आपने बोला कि 12 कर लीजिए 32 कर लीजिए यहां तो द्वापर की कथा भी कहती है यशोदा जी ने एक बार भगवान कृष्ण को रोक कर कह दिया कन्हैया रुको कन्हैया बोले बोलो मां क्या बात है
कन्हैया जरा रुकिए इधर आओ जरा भगवान कृष्ण आए हां मां बोलिए किस जगह का प्रसंग है यह जिस समय पर राधा रानी कुरुक्षेत्र में नंद बाबा और यशोदा जी को लेकर कुरुक्षेत्र के कुंड में ब्रह्म सरोवर में स्नान कराने के लिए लेकर जाती है ग्रहण का समय पर और जब भगवान कृष्ण उस कुरुक्षेत्र के उस सरोवर में स्नान करने आते हैं तब यशोदा जी ने अपने लाला से प्रश्न किया पूछा है कि नारी वैधव्य होकर ना मरे उसका पति कोई रोग से ग्रसित ना हो उसका पुत्र किसी रोग में ना पड़े
अरे भाई कितना सुंदर संवाद लिखा है अगर किसी माता का पुत्र मान लो किसी नशे में डूबा हुआ है कोई नशा कर रहा है और गलत नशा है आपको लग रहा है कि यह नशे में डूबा हुआ है आपको लग रहा है कि यह गलत जगह पर डूब गया है आपको लग रहा है कि मदरा पान में मांसाहार में या अधिक अधिक गांजा आदिक जो भी जो भी नशे होते हैं जितने भी नशे उसमें डूब चुका है और मां उसको समझा रही है
तू नशे में मत डूब तू इस काम को मत कर तू ये गलत कर्म मत कर मां उसको समझा समझा कर हार गई तो मेरा माताओं से निवेदन है आप उसको समझाना बंद कर दो एक काम करना प्रारंभ कर दीजिए हमें जो शिव महापुराण के माध्यम से शास्त्र कह रहा है कि आप 32 पूर्णिमा के व्रत प्रारंभ कर दो उसमें करना क्या है आपको केवल जिस दिन व्रत रहे रात्रि के समय पर कोई भी मीठा कुछ भी सामग्री आप चंद्र की रोशनी में चंद्र को अर्ग देने के बाद पूजन करने के बाद उसको रखो और वही सामग्री जो नशा कर रहा है
उसको पूर्णिमा के दूसरे दिन उसको खिलाओ आप धीरे-धीरे खिलाना चालू करेंगे जिस नशे में वह डूबा हुआ है उस नशे से वह छूटना प्रारंभ हो जाएगा दो पूर्णिमा व्रत करके तो देखो तीसरे में तुम्ह जरूरत ही नहीं धीरे धीरे आप रूप वो छूटना प्रारंभ हो जाएगा स्वयं भगवान कह रहे हैं यशोदा मैया ने कन्हैया को रोक लिया कुरुक्षेत्र के उस मैदान में और भगवान कृष्ण का दर्शन माता यशोदा जी करी बहुत दिनों के बाद मां को आज माता यशोदा को लाला का दर्शन हुआ
बहुत समय के बाद जाने के बाद बहुत महापुराण की कथा कहती है महाराज पूर्णिमा का जो चंद्र है वो विशाल काय है और चंद्र की पूर्णता में हमारी अभिलाषा भी पूर्ण हो आप आस्था चैनल के माध्यम से जितने लोग कथा सुन रहे हैं फेसबुक य पर जितने कथा सुन रहे हैं और कुबेरेश्वर धाम में जितने कथा सुन रहे हैं आप में से कितने लोग हैं जो पूर्णिमा का व्रत करते हैं जो माताएं करती हो जरा हाथ उठाइए पूर्णिमा का व्रज जो करती है
करते हो ना आप लोग रखिए अब पूर्णिमा के व्रत में आपने कई बार किताब पढ़ी होगी पूर्णिमा की या आपने व्रत किया होगा या पूर्णिमा का व्रत आप धारण करे होगे तो उसमें पूजन कौन से भगवान की होती है पूर्णिमा के व्रत में किस भगवान की पूजन होती है तो कहा पूर्णिमा के व्रत में केले के खंब लगाकर पूर्णिमा का जो उद्यापन होता है पूर्णिमा की जो पूजन होती है उस पूजन में शंकर और पार्वती की पूजन की जाती है
शिव और नारायण की पूजा करी जाती शंकर और पार्वती का स्मरण किया जाता किसकी पूजन होती है शिव पार्वती क्यों शंकर और पार्वती का पूजन क्यों करा जाता है पूर्णिमा के व्रत में क्योंकि शिव और माता पार्वती ही केवल एक ऐ हैं जिन्होंने अपूर्ण लक्ष्मी को भी पूर्ण बना दिया था किसको पूर्ण बनाया है लक्ष्मी शरद पूर्णिमा के दिन अगर आप शंकर भगवान को एक लोटा पानी अगर शिव को समर्पित कर रहे हो
स्वेत पुष्प को रखकर शंकर जी के ऊपर सफेद फूल को चढ़ाकर अगर एक लोटा जल भी एक पात्र जल भी शंकर को समर्पित कर रहे हो तो यह लक्ष्मी के लिए ही तो कर और कौन सी लक्ष्मी पूर्ण आपको पहले भी कथा में कहा एक बार भगवान विष्णु के सामने लक्ष्मी मैया ने बहुत तेज स्वर में कह दिया था नारायण दुनिया के लोग आपका नाम जपते हैं दुनिया के लोग नारायण नारायण कहते हैं दुनिया के लोग आपका भजन करते हैं
पर सत्य मायने में कहूं ना तो मेरे बिना दुनिया के लोगों की नहीं चल सकती मेरे बिना दुनिया नहीं चल सकती संसार मेरे बिना नहीं चल सकता भगवान विष्णु ने कहा यह तो गलत है लक्ष्मी आपका कहना एक दिन लक्ष्मी को अहंकार आ गया अहंकार के संबोधन जब माता लक्ष्मी कहने लगी तो भगवान उसी समय पर भगवान विष्णु को क्रोध आ गया और भगवान विष्णु ने कह दिया लक्ष्मी तू इतनी बड़ी बड़ी बात कहती है कि तेरे बिना नहीं रह सकती संसार मैं तुझे कहता हूं
लक्ष्मी तू अपूर्ण है तू पूर्ण कब हो गई तेरी पूर्णता कहां हो गई लक्ष्मी की आंख से आंसू बहने लगे आज आपने मुझे अपूर्ण कहा है आपको मालूम है आप मुझे अपूर्ण कह रहे हो आपको यह ज्ञात हो रहा है आप मुझे अपूर्ण कर रहे हो भगवान कहते हैं हां लक्ष्मी मैंने तुझे अपूर्ण कहा अपूर्णता का मतलब आप जानते हो नाथ भगवान कहते लक्ष्मी मैं सब जानता हूं लक्ष्मी रोती हुई माता सरस्वती के पास पहुंच गई सरस्वती पति ने पूछा क्या बात है
लक्ष्मी क्यों रो रही हो लक्ष्मी जी ने कहा क्या बताऊं सखी मेरे पति ने आज मुझे अपूर्ण कह दिया है तो क्यों रो रही है अपूर्ण अगर कह दिया पति ने ही तो कहा है ना तो क्यों रोना चल मेरे साथ और सरस्वती मैया माता लक्ष्मी को लेकर सीधे पहुंच गई माता पार्वती के यह माता पार्वती के यहां जब पहुंची माता पार्वती जी ने लक्ष्मी जी को देखा और सरस्वती को देखा तो पूछा कि बात क्या है क्या हो गया ऐसा क्या हुआ क्या है ऐसा जो तुम दोनों आज मेरे पास में आई हो क्या हुआ
पार्वती जी कुछ बोलती शिव जी का ध्यान माता सरस्वती की ओर और लक्ष्मी की ओर गया और भगवान शंकर जान गए आज भगवान नारायण ने लक्ष्मी जी को अपूर्ण कहा है आप देखें माता पार्वती क्या कर सकती है इसको पूर्ण बनाने के लिए करेगी क्या क्या हुआ माता सरस्वती जी बोली लक्ष्मी को अपूर्ण कह दिया अपूर्ण कह दिया हा तो क्या सोचना उसके लिए इसको मैं अभी पूर्ण बना देती हूं माता जगत जननी पार्वती ने गोदी में विराजमान गणेश जी को उठाया और उठाकर लक्ष्मी जी की गोद में दे दिया ले लक्ष्मी आज से पूर्ण हो गई
लक्ष्मी आज से तो पूर्ण है गोदी में जब तक संतान नहीं है तो नारी को लोग अपूर्ण समझते हैं माता पार्वती जी ने संपूर्ण ब्रह्मांड में एक सिद्धता प्रदान कर दी कि अपने गोदी के लाल को अपने गोदी के सुपुत्र को माता ने लक्ष्मी की गोद में देखकर लक्ष्मी को पूर्ण बना दिया वोह दिन कौन सा था यही शरद पूर्णिमा का दिन था केवल अमृत ही नहीं बरसता पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी भी बरसती है श्री शिवाय नमस्तुभयम