कोई भी कामना पूर्ति के लिए | koi bhi icha k liye |
आपके हृदय की कोई बात है जो बहुत दिनों से लगे हुए हो और बाबा हो सकता है गुरुदेव कोई कोई कहते हैं जैसे आज कोई कह रही थी बच्ची की मैंने शिव महापुराण में पशुपति व्रत सुना और उसको कर उसका लाभ मुझे मिला मेरे पति ने भी कहा उसका भी लाभ मुझे मिला पर एक काम गुरुदेव ऐसा अटका हुआ है की वो काम हम करना चाह रहे हैं व्रत भी कर लिया अनुष्ठान भी कर लिया और फिर भी वो व्रत के कारण भी वो कार्य नहीं हो रहा
तो समझना की कोई कार्य बड़ा भारी होगा और बाबा उसको कर नहीं रहा है या कोई काम अटक रहा है तो हमने पहले भी कहा ये बीच की जो पट्टी है ये देव महादेव यह ब्रह्मा विष्णु इन दोनों पट्टी के मिलन से लेकर इस पत्तियों के बीच में जो दांडी बची हुई जो तीनों के बीच में एक दांडी का जो भाग है ये माता जगत जननी जगदंबा माता पार्वती है इस के नीचे का जितना भाग है ये 33 कोटि देवताओं को दर्शाता है
आप पशुपति व्रत कर रहे हो या कोई नियम धारण कर रहे हो या कोई अपने नियमों उठा रखा है और वो कार्य आपका हो ही नहीं रहा आपने दो बार पशु पतिव्रता कर लिए अपने ये कर लिया आपने प्रदोष कर लिया अपने सोमवार कर लिया आपने सारे अनुष्ठान कर लिए बहुत सारे उपाय भी करें तो वो भी नहीं हो रहा है तो इस बीच वाली पट्टी पर शहद लगाकर बाबा का जो शिवलिंग है उसे शिवलिंग को इसको छुआ दीजिए या उससे चिपका दीजिए और उस पर अपनी हथेली रखकर कामना कर कर वापस घर पर जाइए बाबा आपकी वो मुराद शीघ्र 3 महीने के अंदर पूरा कर ही देता है
मनोकामना जरूर पूरी होगी गारंटी मिट्टी के शिवलिंग की पूजा ऐसे करे –
इसका नियम ध्यान क्या करना है मिट्टी को लाना है जल का छीटा देना जरूरी दो दिन तक तीन दिन तक मिट्टी रखी हुई है और उसके बाद अगर आपने पानी का छीटा नहीं दिया है और आपने डायरेक्ट मिट्टी को गला दिया और उसके बाद बनाया तो उसका कोई प्रमाण नहीं जल का छीटा अवश्य दे फिर उसको रख दे 15 दिन बाद बनाओ चार दिन बाद बनाओ तीन दिन बाद बनाओ दो दिन बाद बनाओ शिवलिंग जब बनाओ तब उस मिट्टी को जो कलश आपने रसोई घर में रखा है
चावल का दाना रखकर प्लेट के ऊपर अर्थात उस कलश का जल उस मिट्टी में थोड़ा सा डालिए क्यों डाला जाता है उसका भी भाव वर्णन किया है अब भविष्य पुराण स्कंद पुराण और अग्नि पुराण इन तीनों से ले लिया गया वर्णन किया गया जब उस कलश का जल हम डालते हैं तो उस कलश में पित्रों का भाव आ जाता है अन्नपूर्णा का भाव आ जाता है घर में लक्ष्मी का भाव हो जाता है संपदा का भाव हो जाता है
पूरे 24 घंटे के अंदर एक क्षण के लिए रसोई घर में 33 कोटि देवता आते हैं तो वो देवता का सारा भाव उस कलश के अंदर आ जाता है और वो जल जब हम उस मिट्टी में मिलाते हैं तो गंगा यमुना सरयु सरस्वती ये 33 कोटि देवता में तो इन सब का आनंद उस जल में आ जाता है और वो जल जब हम मिट्टी में मिलाते हैं तो मिट्टी पवित्र हो जाती है स्वयं कैलाश अधिपति को स्वीकार कर ने के लायक हो जाती है
निर्मित करने के लायक हो शिवलिंग का निर्माण अब शिवलिंग का निर्माण कैसे करना मिट्टी में गला दिया पानी में सबसे पहले शिवलिंग बनाने से पहले पात्र को पात्र जो होता है उसके नीचे एक बेलपत्र रख बेलपत्र भी सीधा भाग और इस बेलपत्र की जो डंडी है वो उत्तर दिशा में रखना है थाली के अंतर्गत जब आप शिवलिंग का निर्माण कर उत्तर इसके ऊपर जो गलाई हुई मिट्टी है वो डाल दीजिए और डालने के बाद सबसे पहले शिवलिंग का स्वरूप बनाना
सबसे पहले नीचे की जलाधारी नहीं बनाना क्या बनाना है शिवलिंग का स्वरूप बनाना बनाने के बाद उसी शिवलिंग के पास में और मिट्टी डाल लीजिए फिर जलाधारी का निर्माण कर फिर जलाधारी [प्रशंसा] शिवलिंग जलाधारी निर्मित हो गई शंकर जी का संपूर्ण परिवार शिवलिंग में रहता है आपको पहले भी कहा भगवान भूत अधिपति भूतेश्वर भगवान शिव का संपूर्ण परिवार शिवलिंग में पहले भी कथा में कहा
निर्माण को मिट्टी लाए स्वच्छ जगह की जल का छींटा दिया रखा जब शिवलिंग बनाया तो एक कलश पानी पहले से दो घंटा आधा घंटा 15 मिनट 20 मिनट पहले उसको रख दिया उसी पानी से उसको गीला करा गीला करने के बाद उसका निर्माण सबसे पहले बेलपत्र बेलपत्र के ऊपर मिट्टी मिट्टी के ऊपर रखकर शिवलिंग का निर्माण फिर जलाधारी का निर्माण और शिवलिंग का निर्माण पूर्ण होने के बाद में फिर बाबा का सुंदर भाव से आप श्रृंगार करें
अभिषेक करें पूजन करें और एक बात याद रखना पार्थिव शिवलिंग का अगर निर्माण करा है तो आपको वो पार्थिव शिवलिंग को रात्रि होने से पहले विसर्जन होना जरूरी है हां अगर कोई भी शिवरात्रि का दिन है तो फिर आप पूरी रात रख सकते हो हरतालिका तीज का दिन है पूरी रात रख सकते हो बड़ी तीज है छोटी तीज है आप शिवलिंग बनाए हो तो आप पूरी रात रख सकते हो विशेष कोई उत्सव है
श्रावण का महीना है पूरी रात रख सकते हो पर बाकी के समय अगर आप शिवलिंग का निर्माण करें तो उसको सूर्यस्त होने के पहले आप उसको नदी में जल में जलाशय में विसर्जन [प्रशंसा] कर बहुत ध्यान दीजिएगा विसर्जन करते समय जब आप विसर्जन करें पानी में अपने पात्र को शिवलिंग को जब छोड़े उस समय पर ध्यान दीजिएगा कि शिवलिंग की जो जल की धार है जिसका उत्तर की ओर जो जल की धार होती है
विसर्जन करते समय वो जल की धार अर्थात वो उत्तर का भाग हमारी ओर होना चाहिए और थाली इस तरह से पकड़े कि वो भाग हमको जब डाले तो वो भाग हमको दिखे थोड़ा सा नजर है पानी में डालते समय और जब वो थोड़ा भाग दिखता रहे और जिस लिए आपने शिवलिंग बनाया जिस कामना से आपने शिवलिंग बनाया है वो कामना उस भाग को पानी में देखते देखते बोल दीजिए वो कामना पूर्ण हो जाती है इसको कहते हैं पार्थिव शिवलिंग का निर्माण करना |