pradeep mishra ke bhakton ke patra

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हाथ की गठान में कैंसर कैसे ठीक हुआ महाराज जी के द्वारा बताये उपाय से जाने अकोला के पत्र से – pradeep mishra ke bhakton ke patra |

बाबा के चरणों में दंडवत कोटि कोटि प्रणाम मेरा नाम सो दीपाली नरेंद्र सुरके मुकाम पोस्ट सस्ती तहसील पातुर जिला अकोला एक लोटा जल और एक बेलपत्र का क्या गुरुदेव वर्णन करूं मैं मेरे भाई मनोज हरि भाऊ भाल तिलक मुकाम पोस्ट जिला अकोला महाराष्ट्र इनको बगल में एक गठान हो गई थी 25 \0 5 \ 2022 को अकोला के ओजोन हॉस्पिटल में उनका ट्रीटमेंट किया गया

रिपोर्ट में कुछ भी नहीं रहा फिर वापस भैया घर आ गए कुछ दिन बाद वो गठान इतनी बढ़ गई कि पूरा हाथ सूझ गया हाथ बहुत एक हाथ 15 किलो का हो गया इतनी बड़ी

गठान हो गई तब तकलीफ बढ़ गई हम उनको सेवा ग्राम कस्तूरबा गांधी हॉस्पिटल में लेकर गए वहां गांठ का जांच कराया तो जांच में मालूम पड़ा कि उनको कैंसर हो चुका है और कैंसर का प्रमाण इतना बड़ा था

कि वह फोर्थ स्टेज का कैंसर था ड को भी समझ में नहीं आ रहा था कि करें क्या अब करना क्या है डॉक्टरों को उन्होंने दवाइयां देना प्रारंभ करी और उन्होंने कहा कि ऑपरेशन और कीमो यह सब चीजों का क्रम रहेगा तब हमारी एक परिचित ने कहा कि

आप शिव महापुराण की कथा सुनना प्रारंभ करो एक लोटा जल एक बेलपत्र का जो वर्णन है गुरुदेव वो गलत नहीं है डॉक्टर अपना इलाज कर रहे थे हमने

शिवजी पर जल चढ़ाना प्रारंभ करा जल लाकर अपने भाई को देना प्रारंभ करा एक बेल पत्री हम चढ़ी हुई शिवजी की चढ़ी बेल पत्री हमारे भाई को देने लगे और उसको खिलाना प्रारंभ करा अब हमारा मन नहीं था कि हम इस

हॉस्पिटल में दिखाएं हम उनको नासिक लेकर गए और नासिक के हॉस्पिटल में जब उनकी जांच कराना प्रारंभ करी तो बाबा की कृपा से सारी रिपोर्ट नील आ गई और हमारे भाई को कैंसर नहीं निकला यह शिव की कृपा है | श्री शिवाय नमस्तुभ्यं बैठिए हर हर महादेव | 

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एक लोटा जल के उपाय से कैसे कैंसर ठीक हुआ जाने जिला हिंगोली की रहने वाली एक भक्त के पत्र से – परम पूज्य पंडित प्रदीप जी मिश्रा – pradeep mishra ke bhakton ke patra

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मेरा नाम वनीता उन्हाले गांव दंड गांव तालुका कलमनवी जिला हिंगोली मोबाइल नंबर ये है गुरुजी एक लोटे जल का मैं क्या वर्णन करूं भोले बाबा ने मेरी बिगड़ी बना दी गुरुदेव मुझे कैंसर था डॉक्टर के हिसाब से फोर्थ स्टेज का कैंसर डॉक्टर का ट्रीटमेंट चालू था पूरी आहार नली मेरी निकाल दी गई आहार नली निकाली मेरा ऑपरेशन हो गया बहुत तकलीफ में थी

गुरुदेव हमने पूरा पैसा कैंसर हॉस्पिटल में लगा दिया पर हमारा इलाज चलते चलते समय हो गया पर आराम नहीं लगा गुरुदेव डॉक्टर के हिसाब से मात्र 15 दिन का समय था उसके बाद मेरा जीवन नहीं था क्योंकि मेरा शरीर इतना गल चुका था

मैं पूर्ण तरह से बेकार हो चुकी थी मेरी सहेली ने मुझसे कहा क्यों घबराती है शंकर पर विश्वास कर सिहोर वाला महाराज कहता है शंकर पर चढ़ाया हुआ जल अमृत का काम करता है तू एक काम कर आहार नली निकल गई ना कोई बात नहीं शिवजी पर एक लोटा जल चढ़ाना चालू कर एक बेल पत्री को पीस कर आहार नली भले चली गई हो उसको चाटना प्रारंभ कर

मैंने अपनी सहेली के कहने पर गुरुजी कथा सुनना प्रारंभ कर मंदिर बहुत दूर था मैं चल नहीं पाती थी क्योंकि कमजोरी इतनी ज्यादा थी कैंसर की थोड़ी दूर चलकर रुक जाती थी फिर थोड़ी दूर चलती फिर रुक जाती और आखिरी में मैंने शंकर भगवान को जल चढ़ाया वो जल पीना प्रारंभ करा थोड़े दिन तक तो मैं मंदिर गई

क्योंकि मेरे शरीर में दम नहीं थी गुरुदेव फिर मेरे परिवार के लोग मुझे जल लाकर देने लगे मेरी सहेली मुझे शिवजी का चढ़ा हुआ जल लाकर देने लगी और बाबा का मैं क्या गुणगान करूं गुरुदेव हमने दूसरी बार जब वापस कैंसर हॉस्पिटल में ले जाकर जांच कराई सीटी स्कैन कराया तो डॉक्टर के हिसाब से मेरी पूरी रिपोर्ट नॉर्मल आ गई और मेरा कैंसर समाप्त हुआ मैं बाबा को यहां प्रणाम करने के लिए आइहु |

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