षटतिला एकादशी व्रत

षटतिला एकादशी व्रत


षटतिला एकादशी व्रत कब और कैसे करें ? व्रत पारण का सही समय। Shattila Ekadashi virat |

सभी प्रभु प्रेमियों को मेरा प्यार भरा राधे राधे हम चर्चा करेंगे एकादशी के व्रत षटतिला एकादशी है जो है 6 फरबरी  की है और इस षटतिला एकादशी बहुत बड़ा महात्म है इसमें भगवान की पूजा नारायण की पूजा अपने इष्ट की पूजा हमको करनी चाहिए जैसा कि आपको बार-बार बताया गया है कि भगवान नारायण की पूजा करने से एकादशी का व्रत करने से नारायण भगवान की भक्ति प्राप्त होती है

कृपा प्राप्त होती है इसका नाम है षटतिला एकादशी और षटतिला का मतलब  तिल को किस तरीके से हम प्रयोग करें 6 प्रकार से हमको तिल का प्रयोग करना है तो कैसे करना है पहले जब हम स्नान करें तो तिल डालकर उस जल में थोड़े बहुत तिल डाल फिर उसे स्नान करें दूसरा अगर पिसे हुए तिल है तो उसका न हम लोग अपने अंग पर लगा ले स्नान के बाद हम लोग तिल का हवन करें उसके बाद जल में थोड़ा सा तिल डाल ले उस जल को हम पान करें फिर तिल का दान करें और फिर कोई भी मिठाई अगर उस दिन आप बनाते हैं तो तिल की मिठाई बनाकर तिल मिठाई में तिल डालकर उसी का नारायण को भोग लगाए और उसी को फिर ग्रहण करें इसका नाम है षटतिला एकादशी इस प्रकार से एक और विशेष उपाय करे |

षटतिला एकादशी के व्रत करने से मनुष्य के सभी प्रकार के पाप नष्ट होते ही होते हैं उसके बावजूद भी एक और विशेष बात होती है इस दिन हम जल में तिल डालकर अगर अपने पित्रों का तर्पण करते हैं तो हमारे जो पित्र हैं वह हमारे ऊपर कृपा करते हैं और पित्रों की कृपा का एक सबसे बड़ा असर है वो यह है कि उनकी कृपा का फल यह मिलता है कि हमारे घर में धन धान्य की वृद्धि होती है सुख संपत्ति की वृद्धि होती है और हमारे जो जनरेशन है जिसको हम वंश कहते हैं वंश में भी वृद्धि होती है तो पित रुष्ट हो जाए तो इन सब में अवरुद्ध हो जाता है और पित्र प्रसन्न हो जाए तो इसमें वृद्धि हो जाती है तो

हमको क्या करना चाहिए इस दिन हमें अपने पित्रों के नाम से भी कुछ ग्रास इत्यादि अन्न दान करना चाहिए तिल दान अन्न नहीं तिल दान करना चाहिए और तिल डालकर जल में दर्पण करना चाहिए इससे हमारे पित्रों को भी बहुत सुख शांति मिलती है हम लोगों को भी ये सट तला एकादशी के व्रत के दिन नारायण की पूजा करें भगवान का अभिषेक करें अभिषेक करने के बाद भगवान को भोग लगाए और सुंदर सुंदर केसर युक्त केसर से जल में केसर डाले तिल डाले और भगवान का अभिषेक करें आदि ये क्रियाए इनका पूजन करने से श्री नारायण भगवान , राम जी , कृष्ण जी हम पर प्रसन्न होते हैं

एकादशी का व्रत उन्हें विशेष प्रिय है ऐसा मान्यता है कि सात साल या पाँच साल के बाद में बच्चों को भी अन्न नहीं दे देना चाहिए पर जब भी हो सके एकादशी के दिन हम सबको व्रत करने का नियम बनाना चाहिए वृद्ध अवस्था कोई बीमारी ना हो कोई रोग ना हो तो हमें एकादशी का वृत अवश्य करना चाहिए एकादशी के परायण का समय मैं बता दूं हमको सूर्योदय के बाद 6 : 31 से लेकर 9:00 तक हम परायण कर सकते हैं तो षटतिला एकादशी आप सबके लिए मंगलमय हो आप सबके लिए आनंद प्रदान करें आप सबके लिए षटतिला एकादशी शुभ हो मंगलमय हो राधे राधे |


प्रदीप मिश्रा के पत्र | 

 

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