Daily Highlights 365

प्रदीप मिश्रा के उपाय

प्रदीप मिश्रा के उपाय

बसंत पंचमी के पावन दिवस पर किए जाने वाले उपाय – प्रदीप मिश्रा के उपाय

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं  शारदा ये शारदा नाम कहां से पड़ गया सरस्वती माता को शारदा नाम किसने दिया था माता सरस्वती को शारदा का संबोधन किस समय पर प्रदान किया गया था जिस समय पर शंकर और पार्वती भ्रमण पर निकल रहे थे और भगवान ब्रह्मदेव सरस्वती को ढूंढ रहे थे और माता सरस्वती को ढूंढते हुए ब्रह्मा जब भगवान शंकर की साक्षी में पहुंचे हैं तब भगवान शंकर से ब्रह्मदेव ने कहा आप कहीं सरस्वती को देखें तो मुझे भेजिएगा मेरे पास में भेजिएगा

शंकर भगवान ने उसी समय पार्वती से कहा पार्वती जैसे एक स्त्री जो पति धर्म का पालन करने वाली है एक नारी पतित धर्म का पालन करने वाली होती है पति को परमेश्वर मानने वाली होती है पति के चरणों का रस तत्व ग्रहण करने वाली होती है तो वो पर पुरुष का स्मरण नहीं करती उसी तरह एक पति जो अपनी अर्धांगिनी के साथ में रहे और अर्धांगिनी के साथ चले तो पर नारी का स्मरण नहीं होना चाहिए

तो एक काम करो पार्वती तुम उस सरस्वती को बुलाना प्रारंभ करो अब पार्वती जी ने कहा सरस्वती तो मेरी बहन जैसी है सरस्वती तो मेरी सखी जैसी है अब मैं उसको अगर बुलाऊं आवाज दूं अच्छा नहीं लगेगा तो माता पार्वती जब ढूंढती ढूंढते ढूंढते ढूंढते शंकर भगवान के साथ में भ्रमण करती करती पहुंची तो क्या देखती है माता पार्वती कि एक सरोवर के पास में माता सरस्वती बैठकर सरोवर में अपना मुखारबिंद हार रही हैं उस दर्पण के भाव में अपने प्रतिबिंब को देख रही हैं

तब उस समय पर माता पार्वती ने कहा शारदा सरस्वती को लगा मेरा संबोधन किसने कहा पलट कर देखा सरस्वती ने कहा पार्वती तुम हां मैंने तेरा जो दर्पण में प्रतिबिंब देखा है तेरा स्वरूप देखा पर तू इतनी सुंदर है इतनी सुंदर है पर तेरा जल में जो स्वरूप देखा ना वो नीला दिखाई दिया थोड़ा सा श्याम दिखाई दिया इसलिए मैंने तुझे शारदा कह दिया आज भी हमारे मध्य प्रदेश के कटनी और सतना के बीच में मैयर में आज भी शरद्धा भवानी विराजमान है

धार जिले में जाएंगे तो बाग क्षेत्र में मां बागेश्वरी मां शारदा आज भी विराजमान कहा सरस्वती जी पूछी पार्वती तुमने मेरे को शारदा क्यों कहा क्योंकि तेरा जो प्रतिबिंब था व शाम नजर आ रहा था मुझे उस प्रतिबिंब को देखकर मैंने तुझे शारदा का संबोधन दिया तुम्हें ब्रह्मा जी बुला रहे हैं सरस्वती ने कहा पार्वती मैया दीदी आपने मुझे जो नाम दिया है जगत के लोग संसार के लोग मुझे इस नाम से जब पुकारेंगे तो यह शारदा यह सरस्वती स्वयं उसके कंठ पर उसके मस्तिष्क पर सदा विराजमान रहेगी

यह शारदा बनकर इसलिए हमारे स्कूलों में हमारे काव्य ग्रंथों में हमारे जो कविगण रात्रि को जो काव्य पाठ करते हैं कविता का स्मरण करते हैं वो सरस्वती की वंदना नहीं करते हे शारदे मां शारदा की वंदना करते कभी आपसे कोई पूछ ले कि शारदा नाम पार्वती सरस्वती का कब पड़ा तो आप बता सकते कि ये माता शारदा नाम कोई सहज नहीं है मां ढूंढने के लिए जब निकली ब्रह्मदेव के कहने पर भगवान शिव के साथ भ्रमण करती नाम का उच्चारण कोई सहज नहीं होता

कोई देखता होगा दादा जी ने अगर किसी का नाम कुछ रखा तो कुछ सोच के रखा होगा पिताजी ने अगर कुछ रखा है तो उसके मन में कुछ आया होगा तो रखा होगा मम्मी ने अगर कोई नाम रखा तो उसने कोई विचार कर कर रखा होगा कोई नाम अगर किसी का रखा जाता है तो उसके अनुकूल रखा जाता है कि हो सकता है कि वो नाम की क्या उसके मन में चल रहा होगा तो शारदा का संबोधन कोई सहज नहीं है

माता सरस्वती का एक नाम शारदा हुआ इसलिए संबोधन में सरस्वती कम शारदे मा ज्यादा बोला जाता है आप काव्य पाठ कर लो नाम जाप कर लो स्मरण कर लो हम बच्चों से कहना चाहेंगे छोटे छोटे बच्चों से आप माता सरस्वती की आराधना करा करो मेरा बच्चों से निवेदन है कभी जिंदगी में अगर मौका मिल जाए और सरसों के फूल यदि आपके जीवन में आपको कहीं से प्राप्त हो जाए

सरसों के फूल जानते हो ना पीला कलर का होता है सरसों का आप प्रयास करो सरसों का फूल जिस दिन माता जिस दिन माता सरस्वती का मेरी बागेश्वरी का जिस दिन प्राग उत्सव  बसंत पंचमी का उस समय पर माता सरस्वती का स्मरण करकर वो सरसों का फूल आप देवदिदेव महादेव को चढ़ाए जैसे माता सरस्वती को ज्ञान दिया था वैसा मेरा महादेव आपको भी ज्ञान दे व सरसों का फूल आप देवदिदेव महादेव को समर्पित कई जगह पर आम के जो झुमर होते हैं

वो कई जगह पर सरसों का पुष्प सरसों का फूल वैसे शिव महापुराण के अनुसार अगर अपन देखे तो बड़े रोग में भी कारगर होता जिसको कैंसर जैसा रोग हो जाता है या किडनी लीवर जिसका डैमेज हो जाता है इसके लिए हमने पहले भी कथाओं में वर्णन किया है बसंत पंचमी का दिन महाराज सरस्वती का दिन जिस दिन जो बच्चा पढ़ने में कमजोर होता है उसके हाथ से बसंत पंचमी के दिन सरसों के 31 फूल शंकर जी को चढ़ा दिए जाते हैं तो बच्चा पढ़ने में अव्वल निकल जाता है

उसके बच्चे को कभी नहीं कह सकते कि पढ़ने बैठ वो खुद बैठेगा केवल आज बसंत पंचमी का दिन एक ही दिन एक ही दिन चढ़ता है और बाकी के सरसों के फूल आपको मालूम है कि रोग मुक्ति के लिए तो होते ही हैं यह तो आपको पहले भी वर्णन किया है महाराज कि जब कोई एकदम रोग आ जाए और डॉक्टर एकदम बोल दे कि यह रोग भारी आ गया है और इसकी जांचे जाएंगी और फिर यह कुछ भी हो सकता है तो क्या करा जाता था

कि 108 सरसों के फूल लाकर तुरंत शंकर भगवान को चढ़ाए जाते थे तो चढ़ाने के बाद में रिपोर्ट अच्छी आती है ऐसा नियम है कहीं ठेका कोई ठेकेदारी करते हैं ना जो ठेका भरते हैं कि भाई मेरा टेंडर आना चाहिए मेरा यह काम होना चाहिए मेरी मल्टी बनना चाहिए या मेरा यह काम के लिए जा रहा हूं यह काम फतेह होना चाहिए उसके सबके हाथ पर जोड़ने से अच्छा एक काम करो बस 108 सरसों के फूल उठाओ

शंकर जी का उधुहुतेश्वर महादेव का नाम लिखो और छोड़ दो शिव जी के ऊपर एक एक कर कर चढ़ा दो वो ठेका तुम्हें ही मिलेगा वो काम तुम्हारे पास ही आएगा बस केवल अवदहुतेश्वर  महादेव मा अर्थात ये जो क्रम है वो क्रम तो 108 सरसो के फूल का आप कभी भी कर सकते हो पर जो यह बच्चों के लिए किया जाता है वो केवल बसंत पंचमी के दिन ही होता है

श्री शिवाय नमस्तुभ्यं

Exit mobile version